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समय का सदुपयोग | Time Hindi Essay

 समय का सदुपयोग समय बहुमूल्य है – Essay on Value of Time

महाकवि तुलसी ने समय का मह्त्वांकन करते हुए लिखा है. समय का सदुपयोग करो


गोस्वामी तुलसीदास के उपयुक्त उपदेश पर विचारने से यह स्पष्ट हो जाता है कि समय का महत्व समय के सदुपयोग करने से ही होता है. केवल कथा वार्ता, चर्चा, घटना व्यापार आदि के अनुभवों के द्वारा हम अच्छी तरह से समझ जाते है कि समय का प्रभाव सबसे बड़ा होता है.


दुसरे शब्दों में यह कि समय सबको प्रभावित करता है. समय के उपयोग से गरीवी अमीरी में बदल जाती है. असत्य सत्य सिध्द हो जाता है. लघुता में बदल जाती है. इसी प्रकार यह कहा जा सकता है. कि असम्भव संभव में बदल जाता है. इसलिए कोई भी प्रयत्नशील व्यक्ति प्राणी समय का सदुपयोग करके मनोनुकूल दशा को प्राप्त करके चमत्कार उत्पन्न कर सकता है.


समय का प्रवाह बहते हुए जल प्रवाह के समान होता है. जिसे रोक पाना सर्वथा कठिन और असम्भव होता है. इस तथ्य को बड़े ही सुस्पष्ट रूप से एक अंग्रेज विचारक ने इस प्रकार से व्यक्त किया है.


Time and Tide wait for none

समय का सदुपयोग


इसी प्रकार से समय के प्रभाव को स्पष्ट करते हुए किसी अन्य अंग्रेज चिंतक ने ठीक ही सुझाव किया है. कि समय सबसे बड़ा धर्म है. यही सबसे बड़ी पूजा है. इसलिए सब प्रकार से महान और सफल जीवन बिताने के लिए समय की पूजा आराधना करने के सिवा और कोई चारा नही है.


“No religion is greater than time, time is the greatest dharma. So believe the time, worship the time if you want to live and if you want to survive”


समय का सदुपयोग


समय के महत्व को सभी महापुरुषों ने सिध्द किया है. भगवान् श्री कृष्ण ने अर्जुन को सदुपदेश देते हुए स्वंय को समय काल की संज्ञा दी है. काल ही विश्व का कारण है. वही विश्व की रचना करता है. विकास करता है और वही इसका विनाश भी करता है. अत: काल ही काल का कारण है. काल ही महाकाल है. महाकाल ही अतिकाल है और अतिकाल ही विनाश,सर्वनाश, विध्वंस और नाश विनाश को भी सदेव के लिए स्वाहा करने वाला है. इसलिए यह किसी प्रकार से आश्चर्य नहीं कि काल का अभिन्न स्वरूप सभी देव – शक्तियाँ, ब्रह्मा, विष्णु और महेश काल भी कला के प्रभाव से कभी दुषित, खोटे और निंदनीय कर्म में लिप्त होने से बच नही पाते है. फिर सामान्य प्राणी जनों की काल के सामने क्या बिसात है.


हम यह देखते है और अनुभव करते है. कि काल अर्थात समय का सदुपयोग करने वाले विश्व के एक से एक महापुरुषों ने समय के सदुपयोग को आदर्श रूप में व्यक्त किया है. समय का सदुपयोग ही अनंत सम्भावनाओ के द्वार को खोलता है और अनंत समस्याओ के समाधान को भी प्रस्तुत करता है. यही कारण ही कि आज के वैज्ञानिक ने अनंत असम्भावनाओं को सम्भावनाओं में बदलते हुए सबके कान खड़े कर दिए है. इस प्रकार से यह कहा जा सकता है. कि सम्भावनाओं की और आकर्षित होकर समय का सदुपयोग करने वाले निरंतर ही समय के एक-एक अल्पांश को किसी प्रकार से हाथ से निकलने नहीं देते है. ऐसा इसलिए कि वे भली भाति इस तथ्य के अनुभवी होते है.


मुख से निकली बात और धनुष से निकला तीर कभी वापस नही आते. इसलिए समय का सदुपयोग करने से हमें कभी भी कोई चुक नही करनी चाहिए अन्यथा हाथ मल-मल कर पश्चाताप करने के सिवा और कुछ नही हो सकता है.

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