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विद्यार्थी अनुशासन निबंध | Student Discipline Essay

विद्यार्थी अनुशासन निबंध

मनुष्य समाज में रहता है. उसे समाज के नियमो और दायित्यो के अनुसार रहना पड़ता है. जो इस प्रकार से रहता है उसे अनुशासित कहते है. इस प्रकार के नियम और दायित्व को अनुशासन कहते है और यही विद्यार्थी अनुशासन निबंध में दर्शाया गया है. अनुशासन घर से शुरू होता है. बच्चे को उसके संरक्षक उचित और आवश्यक अनुशासन में रखने लगते है. इसे पारिवारिक अनुशासन कहते है. बच्चा जब बड़ा हो जाता है. तब वह शिक्षा के क्षेत्र में प्रवेश करता है. उसे शैक्षिक नियमो निर्देशों का पालन करना पड़ता है.. इस प्रकार के नियम निर्देश को विद्यार्थी अनुशासन कहा जाता है.


विद्यार्थी अनुशासन का शुभारम्भ विद्यालय या पाठशाला ही है. वह शिक्षा के सुन्दर और शुद्ध वातावरण में पल्लवित और विकसित होता है. यहाँ विद्यार्थी को अपने परिवार के अनुशासन से कही अधिक कड़े अनुशासन में रहना पड़ता है. इस प्रकार के अनुशासन में रहकर विद्यार्थी जीवन भर अनुशासित रहने का आदी बन जाता है. इससे विद्यार्थी अपने गुरु की तरह योग्य और महान बनने की कोशिश करने लगता है. उसे किसी प्रकार के कड़े निर्देश नियम या आदेश धीरे-धीरे सुखद और रोचक लगने लगते है. कुछ समय बाद वह जब अपनी पूरी शिक्षा पूरी कर लेता है. तब वह समाज में प्रविष्ट होकर समाज को अनुशासित करने लगता है. इस प्रकार से विद्यार्थी जीवन का अनुशासन समाज को एक स्वस्थ और सबल अनुशासित स्वरूप देने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है.


विद्यार्थी अनुशासन निबंध


विद्यार्थी अनुशासन के कई अंग स्वरूप होते है. नियमित और ठीक समय पर विद्यार्थी जाना प्रार्थना सभा में पंहुचना, कक्षा में प्रवेश करना, कक्षा में आते ही गुरुओं के प्रति अभिवादन, प्रणाम, साष्टांग दंडवत करना, कक्षा में पूरे मनोयोग से अध्ययन मनन करना, बाल सभा खेद कूद वाद-विवाद, जल क्रीडा, गीत संगीत आदि में सनियम सक्रिय भाग लेना आदि विद्यार्थी अनुशासन के ही अभिन्न अंग है. इससे विद्यार्थी अनुशासन की आग में पूरी तरह से तपता है. इससे विद्यार्थी पके हुए घडे के समान टिकाऊ बनकर समाज को अपने अंतर्गत अनुशासन में मीठे जल का मधुर पान कराता है. इस प्रकार से विद्यार्थी अनुशासन के द्वारा समाज एक सही और निश्चित दिशा की और ही बढ़ता है. वह अपने पूर्ववर्ती कुसंस्कारो और त्रुटियों से मुक्ति प्राप्त कर लेता है एक अपेक्षित सुन्दर और सुखद स्थिति को प्राप्त कर अपने भविष्य को उज्जवल और समृद्ध बनाता है. यह ध्यान देने का विषय है कि विद्यार्थी अनुशासन को पाकर समाज के सभी वर्ग बालक युवा और वृद्ध और शिक्षित व अशिक्षित सभी में एक अपूर्व सुधार चमत्कार आ जाता है.


विद्यार्थी अनुशासन हमारे जीवन का सबसे प्रथम और महत्वपूर्ण अंग है. यह हमारे समाज की उपयोगिता की दृष्टी से तो और अधिक मूल्यवान और अपेक्षित है. अतएव हमें इस प्रकार से विद्यार्थी अनुशासन में विश्वास और उत्साह दिखाना चाहिए. यह पक्का इरादा और समझ रखनी चाहिए. कि विद्यार्थी अनुशासन सभी प्रकार के अनुशासन का सम्राट है. यह अनुशासन सर्वोच्च है, यह अनुशासन सर्वव्यापी है. यह अनुशासन सर्वकालिक है. अतएव इसकी पवित्रता और महानता के प्रति समाज के सभी वर्गो को पूर्ण रूप से प्रयत्नशील रहना चाहिए.

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