Ticker

6/recent/ticker-posts

वृक्षारोपण निबंध | किस तरह से वृक्ष हमारे लिए उपयोगी है

 वृक्षारोपण निबंध

हमारे देश में ही नहीं अपितु पुरे विश्व में भी वनों का विशेष महत्व है इसी के बारे में वृक्षारोपण निबंध में दर्शाया गया है. वन ही प्रकृति की महान शोभा के भंडार है. वनों के द्वारा प्रकृति का जो रूप खिलता है. यह मनुष्य को प्रेरित करता है. दूसरी बात यह है कि वन ही मनुष्य, पशु-पक्षी जीव-जंतुओं आदि के आधार है, वन के द्वारा ही सबके स्वास्थ्य की रक्षा होती है.


वन इस प्रकार से हमारे जीवन की प्रमुख आवश्यकता है. अगर वन न रहे तो हम नहीं रहेंगे और यदि वन रहेंगे तो हम रहेंगे. कहने का तात्पर्य यह है कि वन से हमारा अभिन्न सम्बंध है जो निरंतर है और सबसे बड़ा है. इस प्रकार से हमें वनों की आवश्यकता सर्वोपरी होने के कारण हमें इसकी रक्षा की भी आवश्यकता सबसे बढ़कर है.


वृक्षारोपण की आवश्यकता हमारे देश में आदिकाल से ही रही है. बड़ें-बड़े ऋषियों मुनियों के आश्रम के वृक्ष वन वृक्षारोपण के द्वारा ही तैयार किये गए है, महाकवि कालिदास ने अभिज्ञान शाकुंतलम के अंतर्गत महर्षि कण्व के शिष्यों के द्वारा वृक्षारोपण किये जाने का उल्लेख किया है. इस प्रकार से हम देखते है कि वृक्षारोपण की आवश्यकता प्राचीन कल से ही समझी जाती रही है और आज भी इसकी आवश्यकता ज्यों की त्यों बनी हुई है.


अब प्रश्न है कि वृक्षारोपण की आवश्यकता आखिर क्यों होती है? इसके उत्तर में हम यह कह सकते है कि वृक्षारोपण की आवश्यकता इसलिए होती है कि वृक्ष सुरक्षित रहे, वृक्ष या वन नहीं रहेंगे तो हमारा जीवन शून्य होने लगेगा. एक समय ऐसा आ जाएगा कि हम जी भी न पायेंगे. वनों के


अभाव में प्रकृति का संतुलन बिगड़ जायेगा. प्रकृति का संतुलन जब बिगड़ जाएगा तब सम्पूर्ण वातावरण इतना दूषित और अशुद्ध हो जायेगा कि हम न ठीक से साँस ले सकेंगे और न ठीक से शारीरिक और आत्मिक विकास कुछ न हो सकेगा. इस प्रकार से वृक्षारोपण की आवश्यकता हमें सम्पूर्ण रूप से प्रभावित करती हुई हमारे जीवन के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध होती है. वृक्षारोपण की आवश्यकता की पूर्ति होने से हमारे जीवन और प्रकृति का परस्पर संतुलन क्रम बना रहता है.


वृक्षारोपण निबंध में वनों की उपयोगिता


वनों के होने से हमें इंधन के लिए पर्याप्त रूप से लकड़ियाँ प्राप्त हो जाती है. बांस की लकड़ी और घास से हमें कागज़ प्राप्त हो जाता है जो हमारे कागज़ उद्योग का मुख्याधार है. वनों की पत्तियों, घास, पौधे, झाड़ियों की अधिकता के कारण तीव्र वर्षा से भूमि का कटाव तीव्र गति से न होकर मंद गति से होता है या नही के बराबर होता है. वनों के द्वारा वर्षा का संतुलन बना रहता है जिससे हमारी कृषि सम्पन्न होती है. वन ही बाढ़ के प्रकोप को रोकते है, वन ही बढ़ते हुए और उड़ते हुए रेत कणों को कम करते हुए भूमि का संतुलन बनाये रखते है.


यह सौभाग्य का विषय है कि 1952 में सरकार में नयी वन नीति की घोषणा करके वन महोत्सव की प्रेरणा दी है जिससे वन रोपण के कार्य में तेजी आई है. इस प्रकार से हमारा ध्यान अगर वन सुरक्षा की और लगा रहेगा तो हमें वनों से होने वाले, लाभ, जैसे जड़ी बूटियों की प्राप्ति, पर्यटन की सुविधा, जंगली पशु पक्षियों का सुदर्शन, इनकी खाल, पंख या बाल से प्राप्त विभिन्न आकर्षक वस्तुओं का निर्माण आदि सब कुछ हमें प्राप्त होते रहेंगे. अगर प्रकृति देवी का यह अद्भुत स्वरूप वन सम्पदा नष्ट हो जाएगी तो हमें प्रकृति के कोप से बचना असम्भव हो जाएगा.

Post a Comment

0 Comments