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Now Pyar tune kya kiya shayari in hindi facebook

Best Pyar tune kya kiya shayari image hindi

इश्क़ पर ये शायरी आपके लिए एक सबक़ की तरह है, आप इस से इश्क़ में जीने के आदाब भी सीखेंगे और हिज्र-ओ-विसाल को गुज़ारने के तरीक़े भी. ये पहला ऐसा ख़ूबसूरत काव्य-संग्रह है जिसमें इश्क़ के हर रंग, हर भाव और हर एहसास को अभिव्यक्त करने वाले शेरों को जमा किया गया है.आप इन्हें पढ़िए और इश्क़ करने वालों के बीच साझा कीजिए.

जिसे पाया ना जा सके वो जवाब हो तुम मेरी जिंदगी का पहला ख्वाब हो तुम लोग चाहें कुछ भी कहें लेकिन मेरी जिंदगी का एक सुंदर सा गुलाब हो तुम।......✍🌹🤭😍


दिल की हसरत मेरी जुबान पे आने लगी,
तूने देखा और ये ज़िन्दगी मुस्कुराने लगी,
ये इश्क़ की इन्तहा थी या दीवानगी मेरी,
हर सूरत में सूरत तेरी नजर आने लगी।💃💞🏃‍♂

गुलाब के फूल को हम कमल बना देते,
आपकी एक अदा पर कई गजल बना देते,
आप ही हम पर मरती नहीं… वरना
आपके घर के सामने ताजमहल बना देते।💃💞🚶🏻‍♂🤭😜

ज़रूर तुमको हमारे दिल ने दिल से पुकारा होगा,
एक बार तो चाँद ने भी तुमको निहारा होगा,
मायूस हुए होंगे सितारे भी उस दिन,
खुदा ने जब जमीन पर तुम्हे उतारा होगा..…..✍💃💞🏃‍♂😜

सुबह का हर पल ज़िंदगी दे आपको,
दिन का हर लम्हा खुशी दे आपको,
जहा गम की हवा छू कर भी न गुज़रे,
खुदा वो जन्नत से ज़मीन दे आपको.....✍💃💞🏃‍♂😍

🌹🌻🌺🌹🥀🌺🌻
वक्त बदल जाता है जिंदगी के साथ
जिंदगी बदल जाती है वक्त के साथ

वक्त नहीं बदलता दोस्तों के साथ
बस दोस्त बदल जाते हैं वक्त के साथ…
🌹🌻🌺🌹🥀🌺🌻

ये आईने नही दे सकते तुम्हे तुम्हारी खूबसूरती की सच्ची ख़बर….💞💍
कभी मेरी इन आँखों में झांक कर देखो की कितनी हसीन हो..✍


🌹🌻🌺🌹🥀🌺🌻
वक्त बदल जाता है जिंदगी के साथ
जिंदगी बदल जाती है वक्त के साथ

वक्त नहीं बदलता दोस्तों के साथ
बस दोस्त बदल जाते हैं वक्त के साथ…

और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवा 
राहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा 

उजाले अपनी यादों के हमारे साथ रहने दो 
न जाने किस गली में ज़िंदगी की शाम हो जाए 

अब के हम बिछड़े तो शायद कभी ख़्वाबों में मिलें 
जिस तरह सूखे हुए फूल किताबों में मिलें 

इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया 
वर्ना हम भी आदमी थे काम के 

रंजिश ही सही दिल ही दुखाने के लिए आ 
आ फिर से मुझे छोड़ के जाने के लिए आ 

तुम्हारी याद के जब ज़ख़्म भरने लगते हैं 
किसी बहाने तुम्हें याद करने लगते हैं 

इक रात वो गया था जहाँ बात रोक के 
अब तक रुका हुआ हूँ वहीं रात रोक के 

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का 
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले 


किस किस को बताएँगे जुदाई का सबब हम 
तू मुझ से ख़फ़ा है तो ज़माने के लिए आ 

एक मुद्दत से तिरी याद भी आई न हमें 
और हम भूल गए हों तुझे ऐसा भी नहीं 

अच्छा ख़ासा बैठे बैठे गुम हो जाता हूँ 
अब मैं अक्सर मैं नहीं रहता तुम हो जाता हूँ

इश्क़ नाज़ुक-मिज़ाज है बेहद 
अक़्ल का बोझ उठा नहीं सकता 

हुआ है तुझ से बिछड़ने के बा'द ये मा'लूम 
कि तू नहीं था तिरे साथ एक दुनिया थी 

अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो 
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो 

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